पत्तागोभी जिसे बंदगोभी नाम से भी जाना जाता है, पिछले कुछ सालों से कुछ बातें सामने आ रही हैं कि पत्तागोभी खाने से उसमें पाया जाने वाला कीड़ा दिमाग तक पहुंच जाता है
पत्तागोभी को उबालने के बाद भी इसमें मौजूद कीड़े खत्म नहीं होते. दिमाग में कीड़े के कारण जो स्थिति पैदा होती है उसे मेडिकल भाषा में न्यूरोसिस्टीसर्कोसिस कहा जाता है.
पत्तागोभी को अगर सही तरह से पकाकर नहीं खाया जाए तो इसमें मौजूद टेपवर्म (कीड़ा) शरीर में पहुंच सकता है जो कि जानलेवा साबित हो सकता है.
टेपवर्म एक चपटा, परजीवी कीड़ा है. यह आमतौर पर कई अलग-अलग जानवरों को संक्रमित करता है और उनकी आंतों में पाया जाता है. टेपवर्म जानवरों और मनुष्यों को संक्रमित करते हैं. वह आंतों में रहते हैं
सीनियर कंसल्टेंट डॉ. गुरनीत सिंह साहनी ने बताया, 'पत्तागोभी के कीड़ों को सिस्टीसर्कस कहा जाता है और इससे जो दिमाग में बीमारी होती है उसे सिस्टीसर्कोसिस कहते हैं. यह मुख्यत: पत्तागोभी खाने से नहीं बल्कि सूअर का मांस खाने से होते हैं.
डियन लोगों में जो एक डर बना हुआ है कि पत्तागोभी खाने से कीड़े दिमाग में जाते हैं वह पत्तागोभी नहीं बल्कि गाजर या गोभी जैसी सब्जियों के ऊपर पहले से कीड़े पाए जाने के कारण अगर उन्हें अच्छे से साफ नहीं किया जाता तो वो शरीर में प्रवेश करते हैं
डॉ. सुमीत ने कहा, 'पत्तागोभी इसका प्रमुख सोर्स है लेकिन जो भी फल-सब्जी जो जमीन पर उगती हैं, उनके कारण यह समस्या हो सकती है. इससे बचने के लिए हमेशा सब्जियों को धोकर ही खाना चाहिए.'
अगर टेपवर्म शरीर में पहुंच जाते हैं तो वे आंत में छेद करके ब्लड वेसिल्स तक पहुंच जाते हैं और फिर खून के साथ शरीर के दूसरे हिस्से जैसे दिमाग, लिवर और आंख में भी चले जाते हैं. डॉ. सुमीत ने कहा, 'पेट दर्द, मिरगी के दौरे, डायरिया, कमजोरी, उल्टी, चक्कर आना, सांस फूलने जैसी कई समस्याएं इसके लक्षण हो सकती हैं.
डॉ. सुमीत ने कहा, 'इसका इलाज अलग-अलग तरह से होता है. हम तीन तरह की दवाई देते हैं. कीड़े मारने की जगह, सूजन कम करने की दवा और मिरगी कम करने की दवा. सूजन वाली 2 से 4 हफ्ते, कीड़े मारने की 2 से 4 हफ्ते और मिरगी आने की दवा एज ग्रुप के मुताबिक दी जाती हैं.'